सिंचित क्षेत्र के समन्वित विकास के लिए निम्न कार्य सम्पादित किये जा रहे हैः-
I. सिंचाई प्रणाली का आधुनिकीकरण।
II.सेम समस्या का निवारण एवं जलोत्सरण।
III.जल के कुशल उपयोग हेतु भूमि विकास/पक्के खालों का निर्माण।
IV.बाराबन्दी।
V.कृषि प्रसार एवं अनुसंधान।
VI.ग्राह्य अनुसंधान।
VII.भू-जल की माॅनिट्रिंग।
VIII.विश्व खाद्य कार्यक्रम।
IX.विभिन्न कार्यो के लिए भूमि अवाप्ति।
X.मंडियों, एग्रो सर्विस सेन्टर एवं आबादियों का नियोजन एवं विकास।
2.सिंचित क्षेत्र विकास के तहत नवीन परियोजनाये तैयार करना।
3.केन्द्रीय प्रवर्तित योजना के अन्तर्गत भारत सरकार से पुनर्भरण प्राप्त करना।
4.केन्द्रीय सहायता, संस्थागत वित्त इत्यादि द्वारा वित्तीय संसाधन जुटाना।
5.नहरो से गैर कृषि कार्य के लिए जल लेने वाले पक्षकारों से समझौते पत्र निष्पादित करना।
6.कार्मिक, सामान्य प्रशासन एवं वित्त विभाग को निर्दिष्ट विषय वस्तु के अतिरिक्त विभाग के अधीन कार्यरत समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों के संस्थापन विषय।
7.राज्य में सिंचाई प्रबन्धन मे सहभागिता हेतु सी.ए.डी. विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है ताकि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों/संस्थाओं से सिंचाई में सहभागिता के विस्तार हेतु सम्पर्क व समन्वय स्थापित कर सके।
8.कमान क्षेत्र में जल भराव व लवणीयता की समस्या के प्रबन्धन, बचाव व पुनरूद्धार हेतु बहुआयामी (सुरक्षात्मक व सुधारात्मक) उपायों में समन्वय स्थापित करने हेतु सिंचाई, कृषि, भू-जल व वन विभाग के मध्य सिंचित क्षेत्र विकास विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।
चम्बल परियोजना सिंचित क्षेत्र, इंदिरा गांधी नहर परियोजना-सिंचित क्षेत्र विकास एवं विकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत सिंचित क्षेत्र विकास की गतिविधियों के समन्वय का कार्य संचालित किया जा रहा है। चम्बल परियोजना , सिद्धमुख नोहर परियोजना, अमरसिंह सब ब्रांच, गंग केनाल फेज-I, भाखडा नहर सिंचाई परियोजना, गंग नहर सिंचाई परियोजना फेज-II एवं बीसलपुर परियोजनायें सी.ए.डी कार्यक्रम में शामिल हैै।